बीते महीने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक भीषण हादसा हुआ. परिसर में रात के करीब दो बजे तेज़ रफ़्तार बाइक ने पैदल जा रहे दो अन्य छात्रों को टक्कर मार दी. दुर्घटना में बाइक चालक अंशु (22) की मौत हो गयी और तीन अन्य छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस ने मौके पर मौजूद लोगों के हवाले से बताया की बाइक की रफतार बहुत तेज थी जिससे वो अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी. इस हादसे से अंशु का परिवार समेत पूरा परिसर सदमे में है. इकलौते बेटे की मौत की खबर से अंशु के पिता टूट गए. वो अपने आप को संभल नहीं पाए और उनका स्वास्थ्य कुछ इस कदर बिगड़ गया कि उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा जिससे अंशु की माँ को अकेले परिस्थिति को संभालना पड़ा. कुछ परिजनों के साथ अंशु का शव लेने बिहार से उनकी माँ अकेले ही दिल्ली आई थी और अंशु के पिता उस समय अस्पताल में थे.
ये कहानी केवल एक अंशु के परिवार की नही है बल्कि ऐसी कहानियां हर उस घर की हैं जिनका कोई अपना किसी सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया. देश में रोजाना सड़क दुर्घटना के हजारों मामले दर्ज होते हैं जिनमे सैकड़ों लोग जान गँवा देते हैं. कुछ दिन पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं से सम्बंधित एक रिपोर्ट जारी की जिसके मुताबिक हमारे देश में 2022 में रोजाना औसतन 1264 सड़क दुर्घटनाएं हुई जिनमे हर रोज लगभग 462 लोगों की मौत हुई. इस रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में 2022 में कुल 4.62 लाख सड़क हादसे दर्ज किये गए जिनमे 1.69 लाख लोगों ने जान गवां दी और 4.44 लाख लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. ये आंकड़े दिल दहला देने वाले हैं लेकिन और भी हैरान करने वाली बात ये है कि सड़क हादसों से मौत के मामले में दुनिया भर मे भारत पहले स्थान पर है. यहाँ हर साल लाखों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गँवा रहे हैं. देश में मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से एक सड़क हादसे भी हैं.
हमारे देश की सड़कों पर जितनी तेजी से गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है उससे भी तेज सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े बढ़ रहे हैं. 2022 में सड़क हादसों की संख्या में 2021 के मुकाबले 11.9 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. 2021 में सड़क हादसों के कुल 4.13 लाख मामले दर्ज किये गए थे जिनमे 1.54 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी. 2022 में सड़क हादसों के कारण मौतों के आंकड़े में भी 9.4 फीसद का इज़ाफा हुआ है.
सड़क हादसों के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे शराब पीकर गाडी चलाना, ट्रैफिक नियमो का उलंघन करना, सड़क का ख़राब होना आदि लेकिन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक गति सीमा से ऊपर गाड़ी चलाने यानि ओवर स्पीडिंग की वजह से सर्वाधिक सड़क हादसे पेश आए. 2022 में 73% सड़क हादसे ओवर स्पीडिंग की वजह से हुए. जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय भी उस रात ओवर स्पीडिंग की ही वजह से हादसा हुआ था. कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश का एक विडियो वायरल हुआ था जिसमे सड़क के गड्ढों की वजह से एक ऑटो रिक्शा पलट गया था और महिलाओं-बुजुर्गों समेत कई लोग घायल हो गए थे. ऐसी कई ख़बरें आए दिन अख़बार में छपती रहती हैं जिनमे ख़राब सड़कों की वजह से भीषण हादसों की ख़बरें होती हैं. 2022 में ख़राब सड़क की वजह से 18% सड़क हादसे हुए. सरकारें नई-नई सड़कें बनवा के अपनी पीठ थपथपा लेती हैं लेकिन पुरानी सड़कों की मरम्मत पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है.
कोरोना महामारी के दौरान जितने लागों की जान गई, लगभग उतने ही लोग हर साल सड़क हादसों में अपनी जान गवां देते हैं. ये बहुत चिंताजनक है. लोगों की जान बचाने से अधिक महत्त्वपूर्ण और कुछ नही हो सकता. कड़े कदम उठाये जाने चहिये ताकि सड़क हादसों को कम किया जा सके. शैक्षणिक संस्थानों में सड़क नियमों और चिन्हों की जानकारी के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए. सोशल मीडिया पर सड़क जागरूकता सम्बन्धी अभियान चालाना चाहिए. राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा पखवाडा जैसे अन्य कार्यक्रम मनाये जाने चाहिए. सड़कों की मरम्मत पर विशेष ध्यान देना चाहिए. जिले के स्तर पर ड्राइविंग प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना जैसे अनेकों महत्त्वपूर्ण कदम उठाये जा सकते हैं जिससे सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सके. सड़क हादसे अधिकतर जारुकता की कमी की वजह से होते हैं इसलिए बहुत जरूरी है की लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाए. लोगों को बताया जाए की ओवर स्पीडिंग से किसी की जान जा सकती है और किसी का परिवार बिखर सकता है. अगर अंशु भी जागरूक होते तो आज वे देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक के छात्र होते और उनके पिता अस्पताल में नही बल्कि शान से गाँव में घूमते इकलौते बेटे की सफलता का दंभ भरते. उनकी माँ को अकेले उनका शव लेने दिल्ली न आना पड़ता. आप सड़क नियमों का पालन करें, सड़क पर बहुत सतर्क रहें और जितना हो सके उतना लोगों को इन विषयों के बारे में जागरूक करें ताकि अंशु की तरह कोई और किसी सड़क हादसे में अपनी जान न गंवाए.
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